January 31, 2018

हे बीपी तू लेखक है तू साहित्यकार है ------- mangopeople











                           

                            वैसे तो गिरे हुए लोगो से  ज्यादा वास्ता तो रखना  नहीं चाहिए, ऐसे लोगो से दुरी ही भली , लेकिन जब गिरी हुई हरकत करके गिरने वाला आप का बीपी हो तो मजबूरन न चाहते हुए भी उस गिरे हुए को उठाने के लिए खुद ही प्रयत्न करना पड़ता है | पहले उठाने के लिए तकनीकी मदद ली गई लेकिन कहते है गिर को उठाना इतना आसान नहीं होता डीप शिप , आराम वाराम , दवा और दवा ( दारू अभी बाकि है )  सब नाकाम | फिर दिमाग में आया मर्ज जेहनी लगता है , खून में उबाल की जरुरत है |  इसके पहले की घर वाला बंदा गिरे हुए बीपी को मेरे उमर से जोड़ हमें बुढ़ापे का ताना मारे , उस पर ही खूब चिल पो कर खून का उबाल दिखा दिया गया |  लेकिन गिरी हुई बीपी को कोई जोश न आया वो वही निचे धरातल में पड़ी रही |  उसने भी सोचा होगा अरे छोडो ये तो रोज का है कुछ और प्रयत्न करो | तुरंत ही सोशल मिडिया का रुख कर देश दुनिया की चिंता कर सरकार को कोस नया प्रयत्न किया वो भी बेकार गया , वो अब भी भाव खाये वही पड़ी रही | २६ जनवरी के देशभक्ति गीतों का भी उस पर कोई असर न हुआ , महिला जाबांजो की वही "पहली बार"  परेड में आना जैसे नारी सशक्तिकरण वाले जुमले भी काम न आये |  फिर उसे ही लानते दी कि ऐसी गिरी हुई हरकते कर तू असल में मेरी नजरो में गिर रही है , ज्यादा गिरी तो मै भी परवाह न करुँगी , पड़ी रहना जहां पड़ी है | लेकिन वो ढीढ की तरह वही पड़ी रही , आखिर बीपी भी तो मेरी थी , मेरी ही जैसी , फालतू की बातो पर ध्यान ही न देना |
                                             
                                                 हिंदूवादीयो के वॉल के चक्कर लगाये अपने अंदर के हिन्दू को जगाने के लिए , वामपंथियों के भी लगाये ताकि देश संविधान धर्मनिरपेक्षता आदि  के संकट में होने पर खून में उबाल आये |   लेकिन पता चला गया , उसी दिन पता चल गया अंदर खून नहीं पानी बह रहा है कोई उबाल न आया | फिर अचानक एक लेखक साहित्यकार टाइप  पर नखरे गई  देखा नाराज थे/थी  की सम्मान हुआ लेकिन ठीक से न हुआ | तब क्या था बिना मेन्टोस के दिमाग की बत्ती जली | क्यों न बीपी तुझमे लेखक होने के भ्रम पैदा किया जाए  , तुझे ऊपर लाने के लिये थोड़ा ईगो मालिस की जरुरत है , थोड़ी झूठी प्रसंसा की चाहत है , तू खुद दो चार लाइनों की तारीफों में उफान मारती ऊपर आजायेगी और स्वयं को महान घोषित कर देगी | तो हे बीपी तू महान है  तू महानतम है , तू गिरी हुई नहीं है असल में तू  अच्छे लेखक की तरह गहराई से चिंतन मनन कर रही है | लेकिन अब और चिंतन मनन मत कर इससे ज्यादा चिंतन मनन किया तो तेरा लिखा इन दो कौड़ी के पाठको को समझ न आयेगा | वो तेरे महान लेखन को समझ नहीं पायेंगे और अपनी नासमझी छुपाने के लिए , बहुत सुन्दर प्रस्तुति , वाह खूब लिखा , गहरी बात , निशब्द हु जैसा लिख निकल लेंगे | इसलिए तुझे इतना गहरा चिंतन करने की आवश्यकता नहीं है | अब उठ जाग और ऊपर आ देख तेरे लेखन के बगैर कैसे हर जगह सन्नाटा पसरा है , कही कोई क्रांति न  हो रही , देश रसातल में जा रहा , साहित्य ख़त्म हो रहा | ऐसा न हो तू बस गहराई में चिंतन करती रहा जाये और कोई और कुछ भी लिख पुरस्कार ले जाये और तू बस आज कल के पुरस्कारों में पारदर्शिता नहीं पर भाषण देती रह जाये | तो उठ जाग ऊपर आ , ये देश, समाज साहित्य सब तेरे भरोसे ही रुके पड़े है , अब नखरे न दिखा थोड़ी अपनी गति बढ़ा  |




   


January 09, 2018

एक यात्रा वृतांत ऐसा भी -------mangopeople

                   
                                     

                                                     क्या आप को अपने शारीरिक दमखम को लेकर बड़ा गुमान है |  शरीर और मन से  अपने वास्तविक उम्र से अपने आप को कम समझ रहे है तो वास्तविकता की जाँच यानि रियलटी चेक के लिए तुरंत पहाड़ो की और रुख करे और वो भी सर्दियों के मौसम में | उसकी शुरुवात वहां पहुंचने के घुमावदार सड़को पर ही हो जाती है  फिर यदि आप ने किसी ऐसी जगह का चुनाव कर लिया जहा आप के होटल तक या मुख्य शहर में ही वाहन नहीं जाते जैसे शिमला तो फिर दिल की जवानी रवानी के साथ पैर घुटनो की असलियत एक पल में सामने गिरे पड़े होंगे | लेकिन ये सब आप आसानी से झेल लेंगे जब आप पहाड़ो की सुंदरता को अपने आँखों से निहारेंगे | जिधर भी नजर घुमायेंगे प्रकृति की हरियाली , बर्फ की सफेदी की सुंदरता ही पायेंगे | प्रदूषित हवा में साँस लेने के आदि लोगो को ऑक्सीजन की अधिकता और शुद्ध हवा से साँस लेने में समस्या भी आ सकती है | आसमान का असली चटक  नीला रंग आप को यही देखने को मिलेगा |
                                   
                                                         बर्फ देख कर खुद पर नियंत्रण रखने का प्रयास न करे , सारे पैसे आप ने बर्फ में खेलने के लिए ही खर्च किये है तो कूद पड़े , एक दूसरे पर बर्फ उड़ाये , या ऊपर की और चढ़ उस पर फिसले , लोग क्या कहेंगे की चिंता न करे क्योकि बाकी भी वही करे रहे होंगे | हम बड़े हो गए है जैसी बेफकूफी की बाते याद न रखे ,  ग्लोबल वार्मिंग को याद करे , क्या पता अगली बार आने पर बर्फ मिले न मिले , सो जितना बचपना कर सकते है जरूर करे  और आप के इस बचपने में आप का साथ देगा वहा का खाना |  इन सब धमा चौकड़ी के बाद भूख के मारे जब आप खाना खोजेंगे तो पहाड़ो पर एक ही खाना हर जगह उपलब्ध होगा और कभी कभी एक मात्र खाना वो है मैगी | ठंडे ठंडे मौसम में गरमा गर्म मैगी , आप कह उठेंगे मैगी का ये स्वाद पहले न आया ( ये जोरदार भूख की वजह से भी हो सकता है)  | पहले उपलब्ध खाना कभी न ठुकराये पहाड़ो पर भरोषा नहीं की आगे आप को कहा भोजन नसीब हो या आगे भी आप को यही उपलब्ध हो | वैसे खाने के बारे में ज्यादा सोचे नहीं गर्माहट के लिए बार बार पी  जा रही चाय , कॉफी , सूप पेट में जगह न छोड़ेंगे और पांच छह परत कपड़ो में जकड़े आप जी भर कुछ खा पायेंगे नहीं |
                                               
                                                    टॉय ट्रेन में बैठने का शौक है तो महँगी टिकट रिजर्वेशन वाला ले वो भी पहले से , वो बहुत सिमित संख्या में है , नहीं तो सस्ता टिकट आप को मुंबई की लोकल का याद दिला सकता है , सीट पहले आओ पहले पाव पर होता है ,साथ में बच्चे बुजुर्ग हो तो ये निराश करेगा | अकेले दुकेले है तो ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी का रुख करे , बच्चे है तो ऐसी जगह जा कर उन्हें बोर न करे | जीवन में कभी रोप ट्रॉली पर बैठ चुके है तो जाखू मंदिर के लिए उसे न ले उससे बहुत कम में आप को टैक्सी वहा छोड़ देगी , बच्चो को दिखाना है तो एक तरफ का टिकट ले | वैसे आप पैदल जा कर ट्रैकिंग सा मजा ले सकते है | घोड़ो पर बैठ सैर करे , लेकिन वहा चल रहे किसी फ़ूड फेस्टिवल से कभी खाना न खाये |  सबसे जरुरी बात बर्फ में कोई ख़ास तरीके की फोटो शोटो खिचानी है तो जरा भी न शर्माये , स्टाइल मारे , मॉडलिंग करे , यशचोपड़ा की फिल्मो को याद कर झीनी  साड़ी में फोटो खिचवाये , क्योकि वो ग्लोबल वार्मिंग याद है न , बर्फ कल हो ना हो |


चेतावनी :- १- पहाड़ो पर यदि स्थानीय बाँदा कहे पास में ही है जगह बस पांच मिनट का ही रास्ता है उस पर कभी भरोषा न करे  | उनका पास आप के लिए बहुत बहुत बहुत दूर हो सकता है |
२- किसी भी भारतीय कोल्ड क्रीम पर भरोषा न करे , किसी में दम नहीं जो आप के नाजुक होठो , गालो या नाक को बचा सके |
३- ठंड में चेहरा सफ़ेद हो जाता है तो जोम्बी दिखने से बचने के लिए ब्लशर ले जाये और नाक और गाल बन्दर जैसे लाल हो  जाता है तो तब आप को समझ आता है जब वी मेट में करीना ने मेकअप नहीं किया था |
४- अपने गाड़ी के ड्राइवर पर  भरोषा रखे या पहाड़ी रास्तो में अपनी आँखे बंद रखे , रास्तो का सकरापन आप को हार्ट अटैक ला सकता है |
५- साथ बच्चे हो तो बर्फ के लिए उनके थाई तक के लिए बर्फ के बूट ले जाए , सामान्य बूट किसी काम का नहीं , बर्फ में पैर धसते बर्फ बूट के अंदर और फिर चीखता बच्चा |
५- सबसे जरुरी लिफाफे साथ रखे संभव है जो खाना मुंह से गया है वो वही से बाहर भी आ जाये |