March 05, 2012

टिपण्णी जो पोस्ट ही बन गई - - - - -- mangopeople

                  

    लो जी लिखने बैठी थी तो टिपण्णी लेकिन इतनी लम्बी हो गई की एक पोस्ट ही बन जाये फिर मेरी बनिया बुद्धि ने कहा की इतनी मेहनत से टिपण्णी लिखी है बस एक ही व्यक्ति क्यों पढ़े अपनी पोस्ट बना कर डाल देती हूँ आम के आप गुठलियों के दाम मेरी पोस्ट पर पाठको की आवाजाही भी हो जाएगी थोड़ी टी आर पी भी मिल जाएगी  ।
                   टिपण्णी नारी  ब्लॉग  के  इस  पोस्ट  पर  दी  है  पूरा माजरा जानने के लिए तो उस पोस्ट पर ही जाना होगा क्योकि नारी ब्लॉग के कुछ कापी कर नहीं सकते :)




                
              जीतनी बनिया बुद्धि है उसी हिसाब से आप के सवालो का जवाब देने का प्रयास कर रही हूँ शायद मेरा जवाब आप की उच्च श्रेणी की बुद्धि के समझ में आ जाये ।
        मै भी नहीं मानती की ताजमहल से ले कर पिरामिड तक किसी का भी अस्तित्व नहीं है , क्योकि उन सब को मैंने निजी रूप से नहीं देखा है किसी और ने देखा है तो मुझे क्या जब मैंने नहीं देखा तो मेरे लिए दुनिया में उनका कोई भी अस्तित्व नहीं है कोई और कुछ भी बकता रहे मुझे क्या,  इस हिसाब से आप की बात सही है की आप ने टी वी पर नहीं दिखा तो उस घटना का कोई अस्तित्व नहीं है  :)
                                                             क्या निचली कोर्ट के फैसले किसी घटना को सही ये गलत साबित करने के लिए काफी है तो फिर तो रुचिका से ले कर जेसिका और मट्टू तक के केस में निचली अदालतों ने अपराधियों को बाइज्जत बरी कर दिया था तो क्या माना जाये वो सब निर्दोष थे और बाद में जो उपरी अदालतों ने फैसलों को पलटा वो सब चालबाजिया थी झूठ के बल पर केस जीते गएऔर इस तरह के हजारो केस होते है ।
                                 आप ने दहेज़ के बिना विवाह किया बहुत ही अच्छा काम किया सभी युवाओ को आप से प्रेरणा लेनी चाहिए किन्तु क्या आप के मना करने के बाद भी आप के ससुराल वालो ने आप को जबरजस्ती दहेज़ दे दिया था । निश्चित रूप से उन्होंने आप को उपहार के रूप में सामान लेने की पेशकश की होगी और आप के मना करने पर नहीं दिया होगा या आप ने दृढ़ता से मना कर दिया होगा । क्या आप को लगता है की लडके वाले दहेज़ न मागे और लड़की वाला जबरजस्ती लोगो को दहेज़ देता है ।
                         रही बात पैसे वाला लड़का खोजने की तो हर व्यक्ति अपनी लड़की के वर के  लिए दो चीजे ध्यान में रख कर चलता है एक तो दोनों परिवारों की सामजिक हैसियत एक बराबर हो और ये केवल बनिया परिवारों में ही नहीं होता है बल्कि समाज के हर तबके में यही रिवाज है की सम्बन्ध हमेसा अपने बराबर वालो से ही बनाया जाता है ( विवाह तो बहुत बड़ी चीज है कई जगह तो मित्रता का सम्बन्ध और परिचय तक बराबर वालो या खुद से बड़े सामाजिक हैसियत वालो से ही बनाया जाता है ) ये समाजका एक रूप है आप ख़राब कहे या अच्चा पर समाज में यही प्रचलित है । विवाह के लिए दूसरी बात होती है वर की योग्यता जिसे देखा कर कई बार लोग लडके से जुडी दूसरी बातो को अनदेखा कर देते है ।
                                                            आप की इस बात से कोई भी सहमत नहीं होगा की यदि कोई गरीब  लड़का दहेज़ न ले रहा हो तो किसी को भी अपनी लड़की का विवाह उससे कर देना चाहिए,  क्यों कर देना चाहिए किस आधार पर , बस इसलिए की वो दहेज़ नहीं ले रहा है विवाह का ये आधार नहीं होता है सबसे बड़ा आधार होता है की लड़का मानसिक , शारीरिक और आर्थिक रूप से विवाह से जुडी  जिम्मेदारियों को निभा सके । हर व्यक्ति देखेगा की दहेज़ तो नहीं ले रहा है कितु वह लड़की से विवाह करने के कितने योग्य है तीनो ही रूप में यदि योग्य हुआ तो कोई भी इंकार नहीं करता है जैसे की आप के ससुराल वालो ने अपनी लड़की से आप का विवाह किया । हम सभी तो सब्जी लेने भी जाते है तो सस्ता की जगह अच्छी सब्जी को महत्व देते है भले वो महँगी मिले तो फिर कोई भी अपनी लड़की के विवाह के लिए दहेज़ नहीं लेना कैसे आधार बना सकता है ।
                                                     रही बात पैसे वालो के घर शादी करने की या लड़की वालो के पैसे के बल पर लड़का खोजने की तो ये बात तो केवल पैसे वालो के घर होता है जरा माध्यम वर्ग और गरीब तबके की और देखिये जिसके घरो की लड़कियों के जन्म के साथ ही उसके दहेज़ की चिंता सर पर आ जाती है जन्म के साथ पैसा जुटा रहा पिता ये विवाह के समय देखता है की सालो से जुटाया पैसा भी विवाह के समय लड़को वालो की मांग के आगे कम पड़ रहा है चप्पले घिस जाती है उसकी एक लड़की के विवाह में फिर उनकी सोचिये जिनकी कई लड़किया होती है माध्यम वर्ग तो फिर भी मरते जीते कर लेता है गरीब तबके की हालत तो और बुरी है योग्य से अयोग्य लड़का भी भारी दहेज़ मांगता है उनके हैसियत के हिसाब से । माध्यम और गरीब घरो में तो घरो में महंगे सामान ही लडके के विवाह में मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है । कोई भी माध्यम या गरीब वर्ग की लड़की का पिता आप को नहीं मिलेगा जो योग्य वर होने के बाद भी दहेज़ न लेने वाले लड़को को इंकार कर दे ।
                 अब आते है दहेज़ केस को साबित करने की तो कोई भी लड़की वाला ये सोच कर विवाह नहीं करता है की कल को उसकी लड़की को सताया जायेगा और दहेज़ माँगा जायेगा और मै इन पर केस करूँगा तो मुझे अभी से दहेज़ देने के सरे साबुत जुटा लेना चाहिए हा एक लिस्ट होती है सादे कागज पर उसे भी ज्यादा दिन संभाल कर नहीं रखा जाता है और न ही क़ानूनी रूप से उसका ज्यादा महत्व नहीं होता है । रही बात दहेज़ के पैसो को चेक या ड्राफ़ के रूप में देने की तो मै बस इतना ही कहूँगी हा हा हा हा हा हा हा इस बात पर मै बस हंस सकती हूँ :) ।
                  अब निशा के केस पर आते है वो ये केस किस आधार पर हारी मुझे नहीं पता है  मै कानून की जानकर नहीं हूँ किन्तु जब ये केस हुआ था तो तभी जानकारों ने बताया था की ये केस साबित करना बहुत ही मुश्किल होगा क्योकि भारतीय कानून के मुताबिक दहेज़ केस विवाह के बाद ही बन सकता है विवाह के पूर्व नहीं, जबकि निशा ने कहा है की मनीष के साथ  विवाह नहीं हुआ है और कुछ दिन बाद ही उसने दूसरा विवाह कर लिया था,  यदि अब वो कहती है की विवाह हुआ था तो उसकी दूसरी शादी गलत और अपराध साबित हो जायेगा और विवाह नहीं कहने पर मजबूत केस नहीं बनेगा । इसके साथ ही ये भी कहना चाहूंगी की कानून का दुरुपयोग आम लोग नहीं कानून के जानकर, क़ानूनी सलाह देने वाले और केस को अदालत में लड़ने वाले कर्त६ए है आप आदमी नहीं जनता की उसे इंसाफ के लिए किस धरा के तहत केस करना चाहिए वो तो कोई जानकारी ही बताता है हा एक दो केस जरुर हो सकते है जहा जबरजस्ती वकील को अपने बताये केस पर लड़ने को कहा जाता है ।
                          ९०% वाली बात मैंने इसलिए कही क्योकि जब आप कही पर कोई आंकड़े देते है तो आप को उसका स्रोत भी बताना चाहिए वरना "ज्यादातर" या " बहुत सारे " जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए । आप किस आधार पर कह रहे है की ९०% केस झूठे होते है ।
                                                              लड़कियों को विवाह ही नहीं करनी चाहिए ये क्या बात हुए ज्यादातर  नेता चोर है इसलिए वोट देने मत जाओ , ज्यादातर पुलिस वाले भ्रष्ट है तो कोई शिकायत पुलिस वाले के पास मत ले जाओ आदि आदि क्या समाज में इस तरह से रहा जाता है ऐसा नहीं होता है । लड़कियों के विवाह नहीं करना इस समस्या का समाधान नहीं है और ना ही उनके कमाने से ये समस्या जाएगी क्योकि दहेज़ कमाने वाली लड़कियों से भी माँगा जाता है ये बात आप टिपण्णी में दूसरो ने भी कही है ।
   " अमीर लडके से शादी करके लड़की मौज कर सके "
                निहायत ही घटिया और बकवास बात लिखी है आप ने ये "मौज" करना क्या होता है । लड़की वाले मोटी रकम दे कर अमीर लडके से अपनी लड़की की शादी करते है ये आप को ख़राब लगता है किन्तु अमीर हो कर भी  पैसा ले कर किसी से भी  शादी कर लेने वाला लड़का आप को अच्छा लगता है मुझे तो लगता है की ऐसे केस में यदि कोई घटिया है तो लड़का ही ज्यादा घटिया है , क्योकि लड़की का पिता तो जो कर रहा है वो अपनी बेटी के अच्छे और आर्थिक रूप से अच्छे भविष्य के लिए ऐसा कर रहा है ।
                                  और मैंने अपने बनिया और बनिया बिरादरी की बात इसलिए की क्योकि मै केवल अपने आस पास, अपने आँखों देखी  और करीब हुए घटनाओ के बारे में ही बताना चाह रही थी ना की समाज में बस प्रचलित किसी बात का दोहराने का प्रयास कर रही थी ताकि लोगो को लगे की मै सच बात कर रही हूँ ना की बस यु ही कोई आंकड़े फेक रही हूँ । हा पर जिस तरह आप ने उस पर अपने पैजामे से निकल कर  टिपण्णी की है उसके आप की सोच समझ और बुद्धि किस बिरादरी की है ये जरुर पता चला गया । आप की बिरादरी तो मुझे नहीं पता क्योकि बनिया कभी किसी की बिरादरी नहीं देखता है उसे तो बस अपना लाभ देखना है सामने कोई भी बिरादरी का जाति का व्यक्ति हो हा  आप की उच्च कोटी की बुद्धि से ही मुझे पता चला की अपना लाभ देखना तो केवल हम बनियों को ही आती है बाकि दुनिया तो संत होता है । :))))
                 

चलते चलते  
                        जब मुझे और मेरी बनिया बुद्धि और सोच का वाह वाही की गई तो सोचा जवाब में मै भी सामने वाले की बिरादरी की वाह वाही जरा अपने ढंग से कर दूँ  क्या है की दूसरो की जाति बिरादरी और आर्थिक स्थिति पर उंगली उठा कर कुछ कहने और सामने वाले को निचा दिखने में जितना आन्नद "मजा"  "मौज" आता है उसकी तो बात ही कुछ और होती है दिमाग में दो चार उनके नाम से झलक रहे जाति से दो चार वाह वाही सोच भी ली पर फिर मेरी बनिया सोच ने मुझसे कहा की उन्होंने मेरी बिरादरी के बारे में कुछ कहा फिर मै उनके बारे में कहूँगी फिर वो पलट के मेरे बारे में कहेंगे और मै उनके फिर ये सिलसिला लम्बा हो जायेगा और जब उसे जोड़ा घटाया तो पता चला की सौदा फायदे का नहीं घाटे का है समय अपने पास है नहीं बिटिया रानी ने महीनो पहले ही अपनी छुट्टियों के लिए मुझे बुक कर लिया था इसमे फंस गई तो उधर से नुकशान हो जायेगा तो ये सौदेबाजी यही छोड़ दी । क्योकि जिस काम में बनिए का फायदा ना हो वो नहीं करता है बाकि लोगो की तरह थोड़े ही की किसी को कुछ कहने के लिए,  अपने बुरे अनुभवों की खुन्नस निकालने के लिए , अपने संबंधियों को ब्लॉग पर सारे आप बेइज्जती करने के लिए अपना कीमती समय और दिमाग लगाये । कहते है की जहा फायदा ना हो वह तो गली देना क्या  थूकना भी नहीं चाहिए  :)))))