August 28, 2010

पढ़े लिखे समझदार मुस्लिमो से एक अपील

अभी हाल में ही खबर पढ़ी की मुंबई में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने पोलियो की दवा अपने बच्चों को पिलाने से इंकार कर दिया | अभी तक देखा गया था की जब पल्स पोलियो की दवा पिलाने घरों तक लोग जाते थे तो कुछ लोग झूठ बोल कर अपने बच्चों को पोलियो को डोज नहीं पिलाते थे जैसे की हमारे घर बच्चे नही है या हमने अपने बच्चों को पिला दिया है और ये झूठ  तब सामने आता था जब कुछ बच्चों को पोलियो हो जाता था | अभी तक देश में जितने भी मामले पोलियो के सामने आये है उनमें से एक बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय के बच्चो की थी  ( ये भी अखबारों में पढ़ा और टीवी पर देखे खबर के आधार पर कह रही हुं ) पर कुछ लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते थे और न हीं सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया | पर इस बार तो हद ही गई खुल्लम खुल्ला एक साथ मुस्लिम समुदाय के  सैंकड़ो परिवारों ने इसे पिलाने से इंकार कर दिया | उनका मानना है की इसे पिलाने से उनके बच्चे कमजोर हो जायेंगे | बी एम सी ने तुरंत ही लोकल मौलवी से संपर्क किया और उन्हें लोगो को समझाने के लिए कहा उनके कहने पर कुछ परिवारों ने तो अपने बच्चों को दवा का डोज दे दिया पर ज्यादातर ने उसके बाद भी दवा पिलाने से इंकार कर दिया |
उस क्षेत्र के लिए एस तरह की बात नई नहीं है दो साल पहले भी वहा पल्स पोलियो दिवस के दो दिन पहले उस पूरे क्षेत्र में रातों रात पोस्टर लगा दिए गए थे जिस पर लिखा था दो बूंद जहर के ठीक  उसका उल्टा जो पल्स पोलियो के प्रचार के लिए किया जाता है दो बूंद जिंदगी के  |
इसकी वजह क्या है | मैंने सुना है ( कितना सच है मैं नहीं जानती) कि मुस्लिम समुदाय के बीच ये बात फैला दी गई है कि पोलियो कि दवा असल में पोलियो को मिटाने के लिए नहीं है बल्कि ये  डब्ल्यू एच ओं और पश्चिमी देशों की एक साज़िश है मुस्लिमों को ख़त्म करने की यदि हम अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलायेंगे तो हमारे बच्चे कमजोर हो जायेंगे और भविष्य में वो बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो जायेंगे इस तरह मुस्लिमों को एक दिन दुनिया से समाप्त कर दिया जायेंगे | जिन लोगों ये बाते पता नहीं होगी वो हसेंगे पर जिस देश में एक ही समय में हर जगह गणेश जी दूध पीने लगे किसी मुह नोचवे मंकी मैन या इसी तरह के अफवाहों से लोगो में दहसत फ़ैल जाये वहा लोगों के बीच इस तरह की अफवाह हो तो कोई आश्चर्य की या बड़ी बात नहीं है | पर अफसोस है की जब मुंबई जैसे बड़े शहर का ये हाल है तो छोटे शहरो गावो का क्या हाल होगा |
इससे नुकसान क्या है   अब आप सवाल कर सकते है कि यदि किसी समुदाय के कुछ लोग कोई दवा अपने बच्चों को नहीं पिला रहे है तो इसमे बड़ी बात क्या है कुछ लोगों के न पिलाने से क्या नुकसान हो जायेगा | पल्स पोलियो कार्यक्रम का लक्ष्य है की देश से पोलियो के जीवाणु को जड़ से नस्ट कर दिया जाये जिस तरह बड़े चेचक जिसको बड़ी माता भी कहा जाता है जैसी अन्य कई बीमारियों को ख़त्म कर दिया गया है | लेकिन यदि एक बच्चा भी इसे पीने से छुट जाता है और उसमे पोलियो का जीवाणु बच जाता है तो ये कार्यक्रम फिर से जारी रखना पड़ेगा | यही कारण है की इतने साल बाद भी इसमे सफलता नहीं मिली है क्योकि हर बार कुछ बच्चे छुट जाते है और पोलियो के केस सामने आ जाते है | जिस लाइलाज बीमारी का इलाज मौजूद हो और वो भी मुफ्त में जिसे आपके घर पर आ कर पिलाया जाता है यदि उस बीमारी से देश के बच्चे ग्रसित हो रहे है तो ये हमारे लिए शर्म की बात है | ये कार्यक्रम डब्लू एच ओं की मदद से सरकार चला रही है जिसमे कितना पैसा समय और श्रम जा रहा है केवल कुछ लोगों की नादानी की वजह से ये लम्बा खिचता जा रहा है यदि लोग ये नादानी बंद कर दे तो वही पैसा समय और श्रम किसी और गंभीर लाइलाज बीमारी से लड़ने में गरीब बच्चो की पढाई में या गरीबो की भलाई में  खर्च किया जा सकता है | पर वो सब कुछ बेमतलब में खर्च हो रहा है एक ऐसी बीमारी में जो कुछ लोगों की बेवकूफी के कारण जिन्दा है | ( प्लस पोलियो के बारे में विस्तार से और वैज्ञानिक जानकारी अप किसी डाक्टर से ले सकते है मेरी जानकारी सिमित है ) 
करना क्या है  हम लोगों की एक बुरी आदत है की हम खुद तो कुछ करते नहीं है पर सरकारों को बैठे बैठे कोसते है  हम सभी बस ये मान कर बैठे है की ये परेशानी सरकार की है वही इसको सुलझाये हमसे क्या पर वास्तव में ये परेशानी हम सबकी है क्योंकि इससे हमारे ही देश के बच्चे असुरक्षित हो रहे है | इस लिए जरुरत इस बात की है की मुस्लिम समुदाय के पढ़े लिखे समझदार लोग जरा बाहर निकल के आये और ज़मीनी रूप से कुछ काम करे ना की बैठे  बैठे सिर्फ भाषण बाजी की जाये | हम सभी दूर दराज के इलाको में तो नहीं जासकते है पर आप हर पोलियो दिवस के दिन अपने शहर ( आप काम का बहाना नहीं बना सकते है वो रविवार का दिन होता है ) के  उन क्षेत्रो के पोलियो बुथो पर जाये जहा काम पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों की संख्या ज्यादा है या लगता है की वहा के लोग ऐसे मामलों में थोड़े कान के कच्चे है और हर अफ़वाह को सच मान कर प्रतिक्रिया देते है | चेक करे की क्या वहा सभी बच्चों ने पोलियो की दवा पी ली है यदि वो मना करे तो उन्हें हर संभव तरीके से समझाये | मैंने खुद कई कम पढ़े लिखे और कई पढ़े लिखे गवारो को इस बारे में समझाया है की क्यों हर बार अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने की जरुरत है उन्हें लगता था की एक बार पिला दिया काफी है हर बार पिलाने की जरुरत नहीं है | पर मैं मुस्लिमों में बैठे इस सक को नहीं मिटा सकती क्योंकि वो मुझपर भरोसा नही करेंगे वो आप पर भरोसा कर सकते है और ये काम आप को ही करना होगा ना केवल अपने समुदाय के सभी बच्चों की सेहत के लिए बल्कि देश के बेहतर भविष्य के लिए |
शक शंका का कोई इलाज नहीं है  कहा  गया की शक शंका का इलाज किसी वैद्य हकीम के पास नहीं होता है मतलब जिन लोगों के मन में ये बात पूरी  तरह से घर कर गई है ये हमारे समुदाय को ख़त्म करने के लिए साज़िश है तो मुझे लगता है  ऐसे लोगों के लिए एक उपाय है कि इनसे कहा जाये की वो चाहे तो उस क्षेत्र में जा कर अपने बच्चों को पोलियो डोज दे जहा बहुसंख्यक समुदाय रहता है पोलियो पिलाने से पहले किसी का नाम पता नहीं पूछा जाता है वो चाहे तो अपनी समुदाय की पहचान छिपा कर अपने बच्चों को ये दवा दे सकते है तब तो उनको कोई नुकसान नहीं होगा | वैसे तो आप सभी खुद काफी समझदार है |
नोट ---------ऊपर दी गई खबर आप मुम्बई से प्रकाशित नवभारत टाइम्स में पढ़ सकते है माफ़ करे मुझे तारीख याद नहीं है पर खबर करीब १० -१२ दिन पहले प्रकाशित हुई थी | चुकी मुझे ये खबर कल मेरे मित्र ने दिखाई इस कारण पोस्ट आज लिखी जा रही है | इस पोस्ट को लिखने का ये मतलब नहीं है की सिर्फ एक समुदाय के कुछ लोगों के कारण ही पोलियो बचा है | इसके लिए और कारण भी जिम्मेदार है जैसे की पल्स पोलियो से जुड़े लोग देश के कई पिछड़े और दूर दराज  के इलाको में नही जा पाते है यदि हम खुद प्रयास करे और कम से कम शहरो से इस बीमारी को भगाने में मदद कर सके तो सरकार भी अपना सारा ध्यान उन इलाको पर लगा सकती है |

August 09, 2010

हाय ये क्या हुआ मेरा तो पंद्रह अगस्त मनाने का सारा उत्साह ही ठंडा हो गया

        उनका हाल देख कर मन बैठ गया चेहरा लटका हुआ उदास, बातों में भी कोई उत्साह नहीं, मुझसे रहा  नहीं गया पड़ोसी धर्म निभाते हुए मैंने पूछ ही लिया क्या हुआ भाई साहब कोई बात हो गई, मेरा पूछना था कि वो शुरु हो गये हाय ये  क्या हो गया पूरे साल जिस पन्द्रह अगस्त का इंतजार रहता था उसने इस बार ये क्या किया सारा उत्साह ही ख़त्म हो गया उसे मनाने का, उसने तो हम पर इतना बड़ा तुसारापात किया जिसकी हमें उम्मीद ही नहीं थी साल के पहले दिन जब नया  कलैंडर घर में आता है तो सबसे पहले हम उसमे २६ जनवरी और १५ अगस्त को ही देखते है और उस दिन को कैसे मानना है  सारा कार्यक्रम आठ महीने पहले ही बना लेते है पर इस बार ये क्या हो गया जिस पंद्रह अगस्त का इंतजार था वो पड़ा भी तो सन्डे के दिन छुट्टी के दिन, चली गई हमारी एक सरकारी छुट्टी हमारी सरकारी हराम खो------मतलब आराम का दिन | अब क्या खाक मनाये पंद्रह अगस्त सोचिये की आखिर हम सभी लोग क्यों भागते है किसी सरकारी नौकरी के पीछे इसीलिए न की हमें ज्यादा से ज्यादा सरकारी वेतन सहित छुट्टियाँ  मिल सके अब सोचिये की इसी तरह सारे तीज त्यौहार पर्व इसी तरह सन्डे के दिन पड़े तो क्या होगा हम सब का | हम तो सोचते है कि कोई न कोई ऐसी व्यवस्था होनी ही चाहिए कि कोई भी पर्व शनिवार या रविवार को ना पड़े | हा ये तो है की कुछ सालो बाद वह पड़ सकते है तो हमारी कामना है की वो साल लिप ईयर पड़ जाये जिससे वो अपने आप ही एक दिन आगे बढ़ जायेगा | तीज त्योहारों का तो जी कोई झंझट नहीं है पंडित जी से कह कर वो सब सेटिंग हो जाता है जी पहले ही हवा में  बात उड़ा दी जाती है की जी फला त्यौहार तो शाम से लगेगा सो दो दिन मनाया जायेगा बस संडेवाली छुट्टी बड़े आराम से मंडे को खसका दिया जाता है | पंडित भी खुश की एक दिन के त्यौहार में सारे जजमान निपटाना मुश्किल होता था अब दो दिन पड़ेंगे तो किसी को पहले दिन निपटा देंगे किसी को दूसरे दिन और हम तो जी हैप्पी ही हैप्पी  |
                 अब आप ही सोचिये अगर हमको आराम ना मिले तो हम पूरी लगन से काम कैसे करेंगे और आप सभी तो जानते ही होंगे की हम सरकारी कर्मचारी कितनी मेहनत से पूरे आठ घंटे काम करते है क्या कहा की काम तो हम सिर्फ छ: घंटे करते है जी बस के धक्के खा कर जो आँफिस आते है और जो पेट पूजा करते है उसे क्या हमारे काम के घंटे में नहीं जोडियेगा अरे हम क्या अपने लिए खाते है जी हम तो दूसरों के लिए खाते है न खाए तो सोचिये क्या होगा, खाने से पहले हमारे काम की रफ़्तार देखिये क्या मजाल की कोई फाइल  एक मेज से आगे पढ़ जाये और खाने के बाद देखिये बदन में क्या स्फूर्ति आती है फटा फट फाइल पास हो जाती है तो बताई ये की क्या हम अपने लिए खाते है | देखिये आप ने बातों बातों में  मुद्दे से भटका दिया ना हा तो हम छुट्टियों की बात कर रहे है आप तो जानती है की हमारे यहाँ तो कहावत ही है की सात वार और नौ त्यौहार और इस मामले में हम सभी बड़े सामाजिक सदभाव  वाले  है हमसे बड़ा धर्मनिरपेछ  तो कोई है ही नहीं, क्या ईद क्या दीवाली होली क्या क्रिस्मस क्या बैशाखी जी हम त्यौहार मनाने में कुछ नहीं देखते हम सब त्यौहार मिल कर मानते है और हर छुट्टी का दिल से स्वागत करते है | त्यौहार क्या जी हम तो महा पुरुषों की जयंतियो का भी दिल खोल के स्वागत करते है  गाँधी जयंती नानक जयंती आम्बेडकर जयंती सब हमारे लिए बराबर है | हम तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक पता लगाते है की कही किसी महापुरुष के साथ ज़्यादती तो नहीं हो रही है उसके सम्मान में छुट्टी की माग करते है | अरे  किसी को सम्मान देने का इससे बड़ा और क्या ज़रिया होगा की उसके लिए छुट्टी घोषित किया जाये |  भाई हम सरकारी कर्मचारियों  के सम्मान देने का तो यही तरीका है | हम तो आप लोगों से भी विनती करते है की आप के नजर में है कोई ऐसा महा पुरुष या कोई तीज त्यौहार जिसको सरकार उचित सम्मान नहीं दे रही है तो तुरंत  हमारे पास उनका लेख जोखा भेजिए हम सरकार की तरफ से उन्हें उचित सम्मान दिलवायेगे | घबराइये  नहीं हम इसमे जात पात धर्म जैसे आडम्बर नहीं पालते हम सम्मान दिलाने के मामले में सबको समान रूप से देखते है |
और अंत में
हमारा देश ने फिर से  हमारे पांच हजार साल पुराने वैभव को पा लिया हर तरफ दूध की नदिया बह रही है मंदिर फिर से सोने चाँदी से मढ़ गए है हमारा ख़ज़ाना हीरो जवाहरातो से भरा पड़ा है कही कोई गरीबी नहीं है हर जगह उल्लाश फैला है देश में पैसे की कोई कमी नहीं है इसलिए अब किसी को भी रोज काम करने की जरुरत नहीं है व्यवस्था को उलटा कर दिया गया है अब छ: दिन छुट्टी होगी और सिर्फ एक दिन काम करना होगा सिर्फ सन्डे को काम करना होगा | ये सुनते है एक चीख  की आवाज़ आई  और कोई जोर से  चिल्लाया  क्या कहा सन्डे तो छुट्टी का दिन है एक दिन काम करना होगा क्या ख़राब दिन आगये है |
                

August 06, 2010

आओ मलेरिया फैलाए देश की बढ़ रही जनसंख्या घटाए

आओ हम सब मिल कर देश को सबसे बड़ी समस्या से निजात दिलाने के लिए कुछ योगदान करे बढ़ रही जनसंख्या को थोडा घटाए और मिल कर मलेरिया फैलाए और जनसंख्या घटाए | इतना बड़ा काम सिर्फ मच्छरों पर ही क्यों छोड़े थोडा हम भी हाथ बटाये लोगों को काट कर मलेरिया नहीं फैला सकते ( उससे तो रेबीज फैल जायेगा ) कम से कम मच्छरों की आबादी ही बढ़ाये | घर को भले साफ रखे पर घर के बाहर खूब गन्दगी फैलाये घर में जब कचरा हो तो उसे उठा कर सीधे खिड़की से बाहर फेक दे और डेस्टबिन का पैसा बचाए | यदि आप और ज्यादा योगदान देना चाहते है तो आस पास मच्छरों का मैटरनटी होम भी खोल सकते है  किसी गढ्ढे में पानी जमा करके रखे ताकि मच्छरों को अपनी आबादी और बढ़ाने में मदद मिले | जितना  ज्यादा मच्छरों की आबादी बढ़ेगी उतना ज्यादा मलेरिया डेंगू  फैलेगा | उनकी आबादी बढ़ेगी और हमारी घटेगी | हमारे मुंबई के नेता तो यहाँ की लगातार बढ़ रही जनसंख्या से कुछ ज्यादा ही परेशान है मेरी तो उनसे अपील है की मुंबई कि जनसंख्या को कम करने का सबसे सस्ता और आसान तरीके को और फ़ैलाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय योगदान करने के लिए कहना चाहिए | वैचारिक और राजनैतिक गन्दगी तो वो अक्सर फैलाते रहते है इस बार जरा कचरे की गन्दगी को फैला कर कुछ वास्तविक काम करे यहाँ की जनसंख्या को कम करने के लिए |
                           मुझे मालूम है की हर अच्छे काम में कुछ परेशानियाँ आएँगी और कुछ बेवकूफ़ साफ सफाई पसंद लोग इसका विरोध करेंगे पर हम सभी को इससे डरने की जरुरत नहीं है | दुनिया में ऐसे बेवकुफो की कमी नहीं है जो हर वक्त हर जगह साफ रखने में विश्वास रखते है | मैं रोज जाती हुं अपनी बेटी को स्कुल छोड़ने पॉश इलाके में कमबख्तो को सफाई की बीमारी है उनका घर तो साफ रहता ही है सारी सड़कें पूरा इलाक़ा ही साफ सुथरा दिखता है मुझे तो समझ  नहीं आता की इतनी साफ सफाई में जी कैसे लेते है वो लोग | ये देख कर धक्का लगता है की सफाई कर्मचारी सातों दिन वहा सफाई करते है एक दिन की भी छुट्टी उन बेचारो को नहीं मिलती | एक दिन मैंने पूछ ही लिया उनसे की आप इतनी सफाई क्यों करते है यहाँ तो बेचारा बोला की मज़बूरी है यहाँ के लोग घर के बाहर गन्दगी फेंकते ही नहीं है कभी कदार कोई फेक देता है तो हमें साफ करना मज़बूरी हो जाती है हम न करे तो इनको पता चल जाता है की हमने आज झाड़ू नहीं मारा तुरंत हमारी शिकायत हो जाती है | पर दूसरे इलाक़ो में लोग खुद ही इतना कचरा बाहर फेंकते है की कि यदि हम एक दो दिन वहा सफाई ना भी करे तो पता नहीं चलता और वहा के लोगों को फर्क भी नहीं पड़ता और यदि किसी ने गलती से शिकायत कर भी दी तो निरीक्षण करने आये ऑफिसर को हम सफाई करने के एक घंटे बाद ही बुला कर दिखा देते है कि देखो हमने तो साफ किया था यहाँ के लोगों ने एक घंटे में ही वापस सारा कूड़ा कचरा फैला दिया | अब इससे हमारी काम चोरी कभी पकड़ी ही नहीं जाती |
                                देखा उस गरीब सफाई कर्मचारियों को कितना योगदान दे रहे है इस शुभ काम में शर्म आती है उन सफाई पसंद लोगों पर जो इतने अच्छे काम में बाधा पहुचने की कोशिश कर रहे है | यदि इस शर्म से बचना है तो गन्दगी करने में अपना थोडा और योगदान बढ़ाये थोड़ा और कचरा फैलाये थोडा और मलेरिया फैलाये |
क्या आप अपने शहर में बढ़ रही जनसंख्या से परेशान है ?
क्या आप उसे कम करना चाहते है ?
क्या आप डाक्टर है या आप का अस्पताल ठीक से नहीं चल रहा है ?
और आपको अपना धंधा पढ़ना है ?
तो निराश ना हो तुरंत मेरे लिखे उपायों पर अमल करे या फिर हमें  टोल फ्री नंबरों पर कॉल करके तुरंत मलेरिया के मच्छरों का आर्डर दे अभी एक घंटे के अन्दर कॉल करने वाले को मच्छर फ्री में भेजे जायेंगे | तो देर न करे मौके का फ़ायदा उठाये और कॉल करे |

एक महीने पहले हमारे पड़ोस कि बिल्डिंग में मलेरिया से दो सगे भाईयो की बीस दिनों के अंतर पर मौत हो गई मेरी आधी बिल्डिंग मलेरिया से पीड़ित है पर किसी को सफाई की कोई चिंता नहीं है | परसों रात पड़ोस के एक और १७ वर्षीय युवक की मलेरिया से मौत हो गई | अब तीन मौतों के बाद लोगों की नींद टूटी है बी एम सी में शिकायत करके आज सफाई करवाई जा रही है | अभी तक क्यों इंतजार  किया गया हमारे देश में लोगों की आदत है जब तक पानी सर से ऊपर नहीं चला जाता हम सोते रहते है | मैं हफ्ते भर से सोसायटी को बिल्डिंग में सफाई कराने और अपने तरफ से पेस्ट कंट्रोल के लिए बोल रही हुं पर कोई सुनने वाला नहीं है | थक कर मैंने आज सुबह अपने पति को कहा की जरा मेडिकल इंसोरेंस करने वाले को पता करो की आस पास किस किस अस्पताल में हम कैशलेश इलाज करा सकते है और उसके लिए किस किस डोक्युमेंट की जरुरत पड़ेगी | यहाँ के हालत यही है की हमें आज इस तरह की तैयारी भी करनी पड़ रही है क्योकि यदि हमारी बिल्डिंग साफ भी हो गई तो क्या पर हम सभी शहर के दुसरे ईलाको में भी जाते है वहा पर कैसे बचे |