January 29, 2024

नायक भेदा

 नायिकाओं के अनेक भेद पढ़े होंगें आज जरा नायको के भेद भी पढ़िये और देखिये की आप किस श्रेणी मे आतें हैं । 

तो अलग अलग लोगों ने नायकों के अलग अलग भेद बतायें हैं । सबसे पहले भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के अनुसार चार भेद हैं । 

धीरोद्धत - ऐसा नायक जो वीर, सज्जन, गम्भीर,  सुख दुख मे विचलित ना होने वाला , क्षमावान , अहंकारहीन दृढव्रती सर्वगुणसंपन्न उच्च चरित्र वाला हो जैसे की राजा राम । 

तो आगे बढ़े आप मे से कोई  ऐसा नही है । 

धीर ललित - ललित शब्द से ही स्पष्ट होगा कि नायक कला प्रेमी होगा । वीर होने के साथ साथ  सोलह कलाओं मे निपुण । मृदु स्वभाव वाला गीत संगीत का वो प्रेमी जो स्वयम मे खुश रहता हो जैसे कृष्ण।  

तो खुद को कृष्ण समझने की सोच से बाहर आओं । आप सब उसके हजारवें अंश के आसपास भी ना हो। चलो अब आप आम लोगों की बात करतें हैं । 

धारोदत्त - यह वीर तो होता है लेकिन साथ मे उग्र भी । बलशाली, अहंकारी, ईर्ष्यालु, आत्मप्रसंसक , चंचल प्रवृति वाला जो छल कपट करता हो । 

धीर प्रशान्त - सामान्य गुणों वाला सामान्य आदमी , जो त्यागी और शान्त चित्त वाला हो । 

इसका अलावा भी सरल तरीके के उन्होने तीन भेद बतायें हैं । 

उत्तम- सर्वगुणसंपन्न , विवेकवान गरीबो का रक्षक , गंभीर व्यवहार वाला 

मध्यम- वह जो विज्ञान और संस्कृति दोनो का ज्ञानी हो और लोग, समाज को समझ व्यवहार करे । 

अधम- जिसे बात करने का ढंग आवे ना , कम दिमाग वाला जो बस शारीरिक सुख को महत्व देता हो । 

अग्निपुराण मे नायक के भेद बस श्रृंगार रस का भाव मे अर्थात स्त्री के साथ उसके संबंध के आधार पर किया गया है । 

अनुकूल- सबसे श्रेष्ठ नायक जो पत्नी के अलावा अन्य स्त्री की तरफ आँख उठा कर भी नही देखता । बाकियों से दूर ही रहता है । 

षठ- अपनी पत्नी को ठगने वाला । पत्नी को अपने प्रेम के भ्रम मे रख अन्य स्त्री से भी संबंध रखने वाला ।

दक्षिण - यह नायक एक दो नही बहुत सारी स्त्रियों से संबंध रखता है। 

धृष्ट - निर्लज्ज नायक दुनिया समाज की परवाह ना करके सबके सामने ही प्रेमालाप करता है । 

अग्नीपुराण मे इसी को प्रतिनायक जेष्ठ मध्य अधम भी कहा गया है । 

राजा भोज ने अपनी अलग अलग पुस्तक मे अलग अलग आधार पर नायको के भेद बतायें हैं ।  सरस्वतीकंठाभरण मे नाटक के आधार पर नायकों का भेद किया है 

नायक , प्रतिनायक , उपनायक , द्विय नायक । इन सबके चरित्र के आधार पर सात्विक,  राजस और तमस का वर्गीकरण किया है । 

श्रृंगारप्रकाश मे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के आधार पर 

धोरोद्वत - धर्म को महत्व देने वाला 

धीर ललित- काम को महत्व देने वाला 

धीरोदत्त - अर्थ ( धन)  को महत्व देने वाला 

धीर प्रशान्त- मोक्ष चाहने वाला । 

भानुदत्त ने रसमंजरी मे बिल्कुल अलग वर्गीकरण दिया है । ये भी स्त्रियों से संबंधों के आधार पर है । 

पति - अनुकूल, दक्षिण,  षठ , धृष्ठ जो ऊपर चार हैं 

उपपति - वो जो दूसरे नायक की पत्नी अर्थात विवाहित महिला से संबंध रख उप पति बने । इसके दो प्रकार है 

पहला वचन चतुर - जो मीठी मीठी बोल दूसरी स्त्रियों को बर्गला ले ।

दूसरा क्रिया चतुर- जो अपने काम और "काम" से स्त्रियों को अपना बना ले , अपने प्रेम मे पड़वा ले । 

वैशिक - जो नायक वैश्यानुरक्त हो । 

उन्होने बाद मे प्रोषित नाम के नायक का भी जिक्र किया है । ज्यादातर लेखक इसी भेद को स्वीकार करते हैं । माना जाता है अग्निपुराण ने भी यहीं से नायक भेद लिया है । 

रूप गोस्वामी ने उज्जवलनीलमणि मे कहा है कि भाई नायक तो बस एक ही है और वो हैं कृष्ण। 

तो कृष्ण रूपक नायक को छोड़ पुरूष रूपी गोपियों देख लो की तुम सब किस श्रेणी के नायक हो और किसी स्त्री के जीवन मे नायक हो भी । कही किसी के जीवन के खलनायक तो नही हो ।  

January 24, 2024

स्त्री द्वेषी समाज

 अरे उस घर की बेटी से शादी की बात मत चलाइये उस घर मे वैधव्य विधवा होना लिखा है । जब एक पढ़े लिखे समझदार दिल्ली मे केन्द्रीय विभाग मे उँचे पोस्ट पर बैठे रिश्तेदार ने ये कहा तो थोड़ा अजीब लगा। 

वो ऐसे स्त्री पुरुष या किसी तरह का भेदभाव करने वाले रूढ़िवादी सोच के भी नही थें इसलिए उनकी बात और अजीब लगी । मैने पूछा ऐसा क्यों बोल रहें है । 

तो कहतें है उस घर मे चार स्त्रियां रहतीं हैं जिसमे से तीन विधवा हैं । मैने कहा कौन कौन तो बोलते है एक दादी हैं दूसरी मां तीसरी चाची । सब कम आयु मे ही विधवा हुयीं । 

मैने पूछा कोई बुआ और बेटी नही है । तो कहतीं है दो बुआ है एक की शादी यहां एक की वहां हुयी है । बड़ी बेटी की यहां हुयी है ये छोटी बेटी है । इसके एक बड़ा भाई है एक छोटा और चाची को भी एक लड़का ही हैं । 

हमने कहा विधवा लोगों मे कोई घर की बेटी है तो कहतें है नही । तब हमने कहा फिर तो वैधव्य जैसा कुछ है तो घर के बहुओ मे है बेटी मे नही । बेटियां कहा विधवा है घर मे । 

इस हिसाब से तो उस घर मे अपनी बेटी नही ब्याहनी चाहिए क्योंकि उस घर के पुरुषों की आयु छोटी है या उनका रहन सहन ऐसा है लोग मर रहें है या  खानदानी बीमारी से मरे जा रहें हैं । बेटियां तो मजे से है तो किसी के बेटे को नुकसान नही होने वाला है उनके बेटियों से । 

फिर ऐसी बात उनके घर की बेटी के बारे मे क्यों फैलाई जा रही है ये तो सही नही है । ये सुन वो भी सोच मे पड़ गयें और बाकि लोगों ने भी कहा हां ये तो ठीक ही बात  है । 

फिर हमने पुछा पुरूषो की मौत हुयी कैसे तो बोलतें हैं इस बारे मे जानकारी नही है । हमने कहा अचानक से कैंसर जैसी कोई बिमारी हो गयी , किसी का एक्सीडेंट हो गया जैसा कुछ हुआ तो उसे अकाल मृत्यु कह सकते है । फिर उस घर के लड़को से ब्याह से बचने का भी सोचा जा सकता है ( ऐसा अंधविश्वास पालना )

लेकिन खानदानी बिमारी है , रहन सहन सही नही है तो इसका तो इलाज हो सकता है और लाइफ स्टाइल मेंटेन कर जल्दी मौत से बचा जा सकता है । तो लड़के भी कोई खराब नही हुए उस घर के। 

लेकिन ये सब सुन लगा कि वाकई दुनिया क्या इतनी ज्यादा स्त्री द्वेषी विचार रखती है कि बेटों की गलती ,मौत को बेटियों  पर अपसगुन के रूप मे थोप दिया जाये उन्हे बदनाम कर दिया जाये । 

या ये सब कुछ दुष्ट रिश्तेदारों , जानने वालों की जलन , कुंठा , दुश्मनी का नतीज है जो जानबूझ कर किसी परिवार , स्त्री के प्रति ये सब समाज मे फैलाया जाता है । 

और लोग जैसे आज सोशल मीडिया पर सब कुछ बिना सोचे समझे फारवर्ड करते जातें हैं वैसे ही सदियों से ऐसी बातें किसी से सुनतें हैं खासकर स्त्रियों को लेकर तो उस पर ज्यादा विचार नही करते और उसे सच मान आगे बढ़ा देतें हैं , कह देतें हैं । 

अगली बार कोई किसी स्त्री के बारे मे कुछ कहे तो कही बात ध्यान से सुन एक बार खुद सोचियेगा कि ये सच भी है या नही। फिर कोई राय बनायेगा या किसी को आगे कहियेगा ।  

January 19, 2024

सही वक्त

 सही समय पर सही जगह होना कई बार ना केवल आपका जीवन बदल सकता है बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी बेहतर जीवन दे सकता है । तमाम संजोग मिल कर जीवन को कुछ का कुछ बना सकतें हैं ।  

इतने साल से अपने पचहत्तर साल से ज्यादा के पड़ोसी के घर की दिवार पर टंगें सेना के मैडल और पूर्व  प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी से मैडल लेते फोटो देख रही थी । लेकिन उसके पीछे की पूरी कहानी को सुनने का मौका अब जा कर मिला । 

हमारे पड़ोसी महाराष्ट्र के ही एक बहुत ही गरीब गांव और परिवार से थें । नौवी या दसवीं देने के बाद वो छुट्टियों मे पहली बार मुंबई एक रिश्तेदार के पास आयें । साथ मे गांव के दो और गरीब साथी थें । 

रिश्तेदार के बड़े बेटे के साथ घुमने गेटवे गयें तो देखा वहां सेना भर्ती का कैंप लगा है । वो सन था 1962,  चीन से युद्ध छिड़ चुका था । उसके कारण ऐसे सीधी भर्ती सैनिको की हो रही थी । 

रिश्तेदार के बेटे ने कहा चलो हम सब भी ट्राई करते हैं । गांव से आये दो लड़को मे से एक जो बड़ी आयु का था उसने जाने से इंकार कर दिया । बाकि बचे तीन लड़के शारीरिक नाप जोक के लिए चले गयें । नाप जोक मे गांव से आया दूसरा लड़के का भी चयन नही हो पाया । 

इनका और रिश्तेदार के बेटे का हो गया । आगे बढ़ कर जब नाम पता आयु पूछा गया तो रिश्तेदार तो अट्ठारह का था लेकिन ये तो बस सोलह के थें । 

मुझे किस्सा बताते वो बड़े आदर से उस ऑफिसर का नाम ले कहतें है कि उसने कहा शरीर मे दमखम है तुम्हारे उमर अट्ठारह लिख दूं । तो मैने तुरंत ही खुशी खुशी हां कर दिया । 

साथ मे उस ऑफिसर का बहुत धन्यवाद करते दुआ देतें कहतें है कि उसने ये राय दे कर मेरा जीवन बदल दिया । वरना अपने उजाड़ से गांव मे खेती किसानी करता गरीबी का जीवन जी रहा होता आज ।

फिर आगे परिवार भी उसी अभाव मे जीता जैसे आज भी उनके साथ वाले वो दो लड़के गांव मे अभी भी जी रहें हैं । फक्र से बतातें हैं कि अपने गांव का पहला लड़का था जिसने किसी भी सरकारी नौकरी मे जगह पायी थी । पूरे गांव ने उन्हे कंधे पर उठा लिया था जब सबको उनके चयन का पता चला था । 

उसके बीस साल बाद तक भी कोई गांव से किसी अच्छे काम पर नही लग पाया था । नब्बे के दशक मे आ कर एक दो लड़कों का सरकारी नौकरी लगना शुरू हुआ। आज भी गांव मे बहुत गरीबी है और खेती एकमात्र आजीविका । 

62 और 65 के युद्ध मे तो जाने का मौका उन्हे नही मिला लेकिन 71 के युद्ध मे उनको फ्रंट पर जाने का तार जब मिला तो वो छुट्टी पर गांव मे थे और अगले दिन उनकी शादी थी । 

उन्होनें बिना शादी किये जाने का मन बना लिया था लेकिन रिश्तेदार घर वाले बोले कल सुबह शादी करके फिर जाओ । सुबह शादी किया और पत्नी के चेहरे की बस एक झलक देखी और ड्यूटी के लिए निकल गये । 

मुस्कराते हुए बताने लगे आज जीवित हूँ तो पत्नी के भाग्य से । शायद शादी किये बिना जाता तो मर जाता लेकिन पत्नी के भाग्य मे अच्छा जीवन लिखा था तो मै बच गया । मुझे कुछ हो जाता तो गांव वाले पत्नी को नाम देतें ( दुर्भावना से उसे कोसते , उसे अशुभ मानते)

दो गोलियां लगी मुझे उस युद्ध मे एक यहां सीने के ऊपर कंधे पर । ये कहते वो साथ ही अपने शर्ट का बटन खोल हम दोनो को कंधे का निशान दिखाने लगें । शायद किसी सैनिक के लिए ऐसे निशान किसी मैडल से बड़े होतें हैं । 

साथ मे गर्व से बताते हैं कि सामने से लगी पर पीठ मे अटक गयी । जैसे कहना चाह रहें हो कि सीने पर गोली खायी थी भागते बचने के प्रयास मे पीठ पर नही । 

दूसरी पैर मे टखने के पास वो  निशान भी पैंट को ऊपर कर दिखातें हैं । बोला पूरे टाइम होश मे था अस्पताल आने तक । फिर उधर जा कर बेहोश हुआ तो पता नही कब उठा । जब उठा तब तक गोली निकाल दी थी । 

उसके बाद रिटायर कर दिया गया । पर तब आज के जैसा इतना कुछ सेना से मिलता नही था । बस थोड़ा बहुत ही मिला नाम का । ये कहते वो अफसोस सा करतें हैं पर तुरंत ही खुश हो बोलतें हैं अब तो अच्छा है बहुत कुछ मिलता है । 

बहुत बाद मे कई सालों बाद उन्हे राज्य सरकार की तरफ से किसी स्किम मे कुर्ला बाजार मे एक दुकान दी गयी । लेकिन बुरा समय ऐसा कि कुछ महीन बाद ही मुंबई मे दंगे हो गयें । दिसंबर 1992 के बाद वाले दंगें । 

पूरा बाजार जला दिया गया साथ उनकी दुकान भी जला दी गयी । जलाने वाले हिन्दू ही थें लेकिन इलाका मुस्लमानों का था और जिसे दुकान किराये पर दी थी वो मुसलमान था । 

फिर उसके बाद ना कभी वो बाजार बना दूबारा ना कभी दुकान मिली। आज भी वैसे ही खंडहर बना पड़ा है । कहतें हैं अब मुंबई में सब जगह सब बन रहा है मेरे जीते जी वो भी बन जाये तो छोटी बेटी के नाम कर दूं वो । मर गया तो फिर नही मिलेगा । 

दो बेटियों  एक बेटे कि शादी हो गयी है बेटा भी साफ्टवेयर इंजीनियर है । बेटियां भी बैंक मे काम करतीं है लेकिन छोटी बेटी ने अभी तक शादी नही की है । बेटे के अलग होने के बाद वही साथ रहती है । 

बेटे को एक फ्लैट रहने के लिए दे दिया है या ये कहें उसने ले लिया है । इस फ्लैट मे बेटी के साथ रहतें है । एक और फ्लैट किराये पर दिया है । उसका किराया और पेंशन पर उनका गुजारा आराम से होता है । बेटी एक हास्पिटल मे काम करती है वो अपने खर्चे खुद उठा लेती है।

January 09, 2024

असल पहचान का संघर्ष

 बहुत पहले बंगाल मे रहने वाले वो सब बंगाली थें । उनमे से कुछ ही हिन्दू थे तो कुछ ही मुसलमान थे । बकिया सब तो बंगाली ही थें । 

फिर अंग्रजों ने उन्हें दो भागो मे बाट बंगाली हिन्दू और बंगाली मुसलमान बना दिया । वो गलिमत माने कि बंगाली होने की पहचान नही छीनी गयी । 

लेकिन जब देश आजाद हुआ तो बंगाली के साथ मुसलमान होने के कारण उन्हे पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया । धीरे धीरे उनसे उनकी बंगाली पहचान छीनी जाने लगी । उनकी बोली भाषा , खानपान,  रहन सहन , परंपरायें , रीतिरिवाज आदि सब अलग थीं पश्चिम पाकिस्तान से । 

उन पर पाकिस्तानी मुसलमान होना थोपा जाने लगा । तब उन्हे समझ आया की वो बंगाली पहले है और मुसलमान बाद मे । वो अपने बंगाली पहचान के लिए लड़े और जीते । बंगाली पहचान के साथ देश बना और फिर वो बरसो बरस बंगाली ही रहे । 

फिर दुनियां मे कट्टरवाद पनपा , इस्लाम के नाम पर बहुत कुछ दुनिया मे होने लगा । बंगाली के साथ मुसलमान होने पर असर उन तक आने लगा । वो जो सदा ही सिर्फ मुसलमान थें उनके बीच उन्होनें अपना सर उठाना शुरू किया और लोगो को कट्टरता के साथ सिर्फ मुसलमान बनाना शुरू किया । 

और एक बार फिर संघर्ष शुरू हुआ बंगाली और मुस्लिम पहचान को लेकर। उनका समाज देश आज भी कट्टरवादियों कि बढ़ती संख्या से लड़ रहा है । अपनी बंगाली पहचान को बचाने का प्रयास कर रहा है।

 इसी संघर्ष के साथ बंग्लादेश मे चुनाव हुए । वहां पाकिस्तान परस्त बढ़ रही इस्लामिक कट्टरता के साथ  साथ चीन की घुसपैठ हमारे लिए एक बढ़ा सरदर्द है और चिन्ता का विषय है और ढकोसलेबाज पश्चिम और अमेरिकन को लोकतंत्र की । 

अब देखेंगें कि भविष्य मे इस त्रिकोणीय मुकाबले मे कौन जीतता है और कौन किसके साथ जाता है ।

December 11, 2023

जालसाजों से सतर्क और सावधान रहें

अपने अनुभव , खासकर पैसे के लिए फ्रॉड करने का प्रयास वाले, यहां साझा करना कितना जरूरी और अच्छा है आज की पोस्ट इसी पर है। 

कुछ महिनो पहले एक मित्र ने पोस्ट शेयर करते बताया कि कैसे उनके किराये पर घर देने का विज्ञापन ऑनलाइन देने पर एक स्कैमर ने उन्हे काॅल किया और खुद को सशस्त्र सेना बल का बताते ये कहने लगा कि उसका ट्रांसफर हुआ है अभी। 

उसे तुरंत आते ही परिवार के लिए घर चाहिए। इसलिए वो सीधा पैसे देने को तैयार है । बस उसे अपना पेटीएम का नंबर दे दें । अपना विश्वास बनवाने के लिए वो एक नंबर दे रहा था अपने सीनियर का बोलकर । 

कल बिल्कुल यही मेरे साथ भी हुआ।  सुबह ही जिस साइट पर विज्ञापन दिया शाम को उसका नाम लेते एक व्यक्ति का फोन आया । 

सिस्टर आपका विज्ञापन देखा आपका घर मुझे पसंद आया है । मै लेना चाहता हूं।  हमने कहा अभी आप कहां रहतें है । इस पर बोलता है जम्मू।  हमने कहा इतनी दूर से यहां । 

तो जवाब दिया मै जम्मू मे सशस्त्र बल मे काम करता हूं । उसका इतना बोलना था कि हमे पहले ही पढ़ी हुयी पोस्ट याद आ गयी । समझ आ गया कि फ्राॅडिया है । वो आगे बोलते जा रहा था । 

सिस्टर मेरा ना आपके शहर में ट्रांसफर हो गया है । मेरी पत्नी और एक पांच साल की बेटी है । सिस्टर क्या आप फैमली वाले को घर देंगीं । 

बहुत सालों से अरमान था कि कोई ऐसा स्कैमर हमे फोन करे और हम उसे चरायें कुछ घंटा येड़ा बने रह कर । लेकिन कमबख्त ने फोन बहुत गलत टाइम पर किया था । 

हम घर से बाहर निकल रहें थें बिटिया के जरूरी काम से । टाइम पर पहुंचना था और बकवास करने का टाइम उस समय नही था । 

सो जब वो अपनी बात कह कर चुप हुआ तो आगे की उसकी कहानी हमने खुद ही उसे सुना दी कि अब मेरे हां करने पर तुम मेरा पेटीएम नंबर मांगोगे । 

मुझे विश्वास दिलाने के लिए अपने सीनियर का नंबर दोगे और फोन करके वेरीफिकेशन के लिए बोलोगें । पागलों कितने दिन तक तुम लोग यही सब करते रहोगे । सबको अपने जैसा बेवकूफ समझा है क्या । बंद करो ये सब करना । 

आगे हम कुछ बोलते गरियातें उसने फोन ही काट दिया । अब सोच रहें है ऑनलाइन साइबर सेल मे शिकायत कर दें । सभी लोग शिकायत करेगें नंबर देगें तो शायद पुलिस कोई कार्रवाई भी करे । 

वैसे नंबर ये था उसका 8926061572

December 08, 2023

गर्भनाल से जुड़े बच्चें

  करीब चार पांच साल पहले की बात है। मुंबई के एक लगभग पचास वर्षीय पति पुलिस स्टेशन मे रिपोर्ट लिखाता है कि दो दिन से उसकी पत्नी घर वापस नही आयी फोन भी ना उठा रही । साथ मे कार भी लेकर गयी है 

दो दिन बाद कार पुलिस को वेस्टन घाट पर खायी की तरफ लुढ़की मिल जाती है । लेकिन उसमे कोई रहता नही । लोग समझें हैं कि या तो महिला खायी मे गिर गयी या फिर बच कर बाहर आयी हो और किसी अस्पताल मे हो । 

पुलिस आसपास के अस्पताल में पता करती है लेकिन कोई नही मिलता । अब पुलिस को पति पर शक हो जाता है और उसका फोन टेप होने लगता है । बस दस दिन बाद ही पुलिस पति को पकड़ लेती हैं क्योंकि उसके फोन पर उसी दिन सुबह उसकी पत्नी का फोन आया था । 

तो माजरा ये था कि चालीस बयालीस की पत्नी का कोई पच्चीस छब्बीस साल के युवक से अफेयर शुरू हो जाता है । वास्तव मे पति पत्नी बेटे के कारण साथ रह रहे थें उनका आपसी रिश्ता बहुत साल पहले ही खत्म हो गया था । 

जब पति को अफेयर के बारे मे पता चला तो उसने पत्नी को लड़के के साथ चले जाने को कहा ।  लेकिन समस्या थी कि इससे बारहवीं पास कर चुका बेटे के दिल मे और समाज मे माँ की क्या छवी बनेगी। 

फिर दोनो पति पत्नी ने तय किया कि इस तरह पत्नी को मरा साबित कर देगें । वो आराम से लड़के के साथ किसी दूसरे राज्य मे जा कर रहेगी और पति बेटे से कुछ साल संपर्क नही करेगी । 

 अब सोचिये इतना सब तय होंने के बाद भी केवल दस ही दिनों मे पत्नी ने पति को फोन क्यों किया होगा । उसने ये पुछने के लिए फोन किया था कि बेटे का इंजिनियरिंग काॅलेज से काॅल लेटर आया था पति एडमिशन कराना भूल तो नही गया है ना । 

मैने ये खबर पढ़ी तो मुझे बहुत हँसी आयी । मैने कहा कुछ पिता और पति घर से बाहर काम पर जाते ही भुल जातें की मेरे बीबी बच्चे भी हैं । कुछ दोस्तो के साथ गोवा के चार दिन के टूर पर भूल जातें हैं की बाल बच्चेदार हैं । थाईलैंड घुमने गयें अधेड़ तो अपनी ऊमर भूल जाते हैं । 

 लेकिन एक महिला शायद दुनियां की सब चीज छोड़ दे भूल जायें लेकिन अपने बच्चो की फिक्र करना नही छोड़ सकती उसे भूल नही सकती । भले उसे कल्पनाओं से परे की चीज मिल गयी हों सुखी जीवन मिल गया हो ।

अब सुन रहीं हूं पाकिस्तान गयीं अंजु अपने बच्चो को लेने वापस आयीं हैं । इसके पहले पाकिस्तान की सीमा  ने ज्यादा समझदारी दिखायी थी ।  जब बिना बच्चों के नेपाल आयीं तब भारत नही आयीं । वापस पाकिस्तान जा कर अपने बच्चों को लेकर भारत आयीं । 

सीमा को पता था कि बच्चो को छोड़ा तो उनसे कभी मिल ना पायेगीं । अंजु ये गलतीं कर चुकि अब उनके बच्चे उन्हे ना मिलने वाले कभी भी। अब बाकि जीवन उन्हे इस दुख के साथ ही जीना होगा । 

December 07, 2023

तीसरी कसम

 

केला बेचती ललीता पवार और उसे खरीदते राजकपूर मे मोल चाल करते हुज्जत चल रही है । ललीता पवार कहतीं है दो आने मे तीन केले दूंगी और राजकपूर कहतें है तीन आने मे दो केले लूंगा । 

थोड़ी देर बहस करने के बाद ललीता पवार को समझ आता हैं कि सामने वाला तो उनके फायदे की बात बोल रहा है । जीवन मे एकबार हम भी ललीता पवार वाली गलती कर चुकें हैं । 

बनारस से कजन की शादी के अगले दिन ट्रेन से मुंबई लौट रहें थें । साथ मे कोई तीन चार साल को बीटिया भी थीं । हमारी मिडिल बर्थ थी तो  तय था कि दिन मे तो सीट शायद ही  खुले । 

नीचे के बर्थ वाले आये नही थें हम शादी के जागे बैठे बैठे उंघ रहें थे बिटिया मोबाइल मे व्यस्त थीं । उनके जागते हम सो भी नही सकते थे और फिर पता नही कब नीचे के बर्थ वाला आ जाये । 

कुछ घन्टो बाद एक आदमी करीब छ फिट का अपने छ सात साल के बच्चे के साथ सीट पर आया और आते ही बोला सीट खाली किजिए।

  हमने कहा दिन का समय है हमारी मीडिल बर्थ है तो लिजिए हम किनारे हो जाते है आप बैठिये । तो कहता है आप पूरी सीट खाली किजिए पूरी सीट हमारी है । मेरे बेटे को सोना है । 

इतना छोटा सा उसका बच्चा था हमने कहा हम एकदम किनारे बैठ जातें है आपका बच्चा आराम से एक तरफ सो सकता है । इस पर वो एकदम ही बत्तमीजी पर उतर आया और तेज आवाज मे बोलने लगा। 

बोला देखने मे आप तो पढ़ी लिखी लग रही है आपको समझ नही आ रहा है कि सीट मेरी है । मै बच्चे को सुलाने जा रहा हूं उसके पैर से आपको चोट लगेगा तो मै नही जानता । 

हमे भी गुस्सा आने लगा लेकिन अपनी बिटिया को भी देखा तो वो जरा सा परेशान हो रहीं थी इस बहस से । 

फिर हम खुद भी जानते थें कि ट्रेन मे ऐसे कभी भी किसी से बहस भी नही करनी चाहिए।  पता नही सामने कौन किस तरह का है । लेकिन अब करूं भी क्या । बिटिया को लेकर मीडिल बर्थ पर बैठना एक मुश्किल काम था । 

बस वही पल था जब बिना मैन्टोस खाये दिमाग की बत्ती जली । हमने कहा एक मीनट ये हम का फालतू का बहस कर रहें हैं इस बन्दे से ये तो हमारे फायदे की बात कर रहा है । 

हमे इस समय मीडिल बर्थ पर बैठना नही है हम तो आराम से उस पर सो सकते हैं । नीचे के बर्थ पर तो इसलिए नही सो रहें थें कि बिटिया कहीं उतर कर कहीं चली ना जायें । 

 हम तो तीन रात के जगे उंघ रहे थें हमे तो घंटो की नींद ही चाहिए और मिडिल बर्थ से तो बिटिया के कहीं उतर के जाने का सवाल ही नही है । तो हम घंटो बेखटक सो सकते है । 

फिर हमने धाड़ से बर्थ खोला चादर बिछाया और सो गयें । एक डेढ़ घंटा बिटिया मोबाइल पर विडियो गेम खेलने के बाद , शादी की थकीं वो भी थीं तो वो भी सो गयी । 

कोई तीन चार बजे के सोये शाम को सात बजे हम उठें तो वो और उनका बच्चा दोनो जाग रहे थें । असल मे उनका बच्चा सोया ही नही। 

बीच बीच मे जितनी बार भी आधी अधूरी आँख खुली तो हमे सुनायी दे रहा था कि वो बैठे बैठे कहानी सुना सुना बच्चे को सुलाने की कोशिश कर रहें थें । लेकिन छ सात साल का लड़का ट्रेन मे आ कर कहीं सोने वाला है । वो सोया ही नही । 

अब आप अंदाजा लगाइये छ फिट का आदमी नीचे के बर्थ मे किस तरह झूक कर इतने घंटे बैठा होगा । क्योकि बच्चा तो पापा बिस्किट,  पापा पानी , पापा सूसू किया पड़ा था तो वो लेट सकते नही थें उसके साथ।  

सात बजे हमारी जैसे ही आँख खुली थोड़ी देर बाद वो खड़े हुए हमसे नजरे मिली । बस मुंह खोलने ही वालें थें कि हम पलट कर दूसरी तरफ चेहरा कर फिर  जानबूझ कर सो गये । 

उसके बाद साढें आठ के करीब नींद खुली । हमे जागता देख तपाक से बोलें कि आप चाहें तो बर्थ बंद करके नीचे आ जायें । हमने ना मे सर हिला दिया । 

अब वो हमसे बहस भी कर चुकें थें और तब हमारी बिटिया भी सो रही थीं । तो हमसे रिक्वेस्ट करने तक का मुंह ना था उनका । 

 सबसे मजेदार बात ये थीं कि पूरे बोगी मे सब घोड़ा बेच मुर्दों की तरह चादर डाल सो रहें थें । क्योंकि सब शादी से ही लौट रहें थे सबकी मेंहदी आलता यही बता रहा था । 

एक भी सीट खाली नही थी कि वो बैठ सकें । बच्चा उनका बैठा था और वो ठीक से बैठ भी नही पा रहे थें । कभी खड़े होते कभी उकता कर बाहर चले जाते । हम लेटे लेटे मस्त अपना मोबाइल देख रहें थें ।

साढें नौ बजे हमारी बिटिया जागी बोली मम्मी कुछ खाने को दो । वो फट से खड़े हो गये । सोचा कि अब तो हम नीचे उतरेगें और सीट बंद करेगें । 

वहीं ऊपर टंगें हमारे झोला से हमने बिस्किट केक और चिप्स निकाला और आराम से मोबाइल देखते खाने लगा नीचे उतरे ही नही । अब उनको पता चल गया था कि कितनी दुष्ट महिला से उन्होने फालतू की बहसबाजी की थी । 

यही बात वो रिक्वेस्ट मे कहतें  या साइड मे अपने बच्चे को सुला देतें तो हम से बाद मे सीट खोल नीचे आने को भी कह सकतें थें ताकि वो आराम से बैठ सकें । लेकिन बहस और खराब व्यवहार से हमारे अंदर के रावण के दर्शन कर लिए उन्होने । 

करीब साढ़े दस बजे रात को उनका स्टेशन आया और वो उतरने की तैयारी करने लगा तो हम बड़े मजे से उनके सामने नीचे ऊतरे सीट नीचे किया और बिटिया को बोला मजा आया ना बाबू । अब हम लोग आराम से नीचे बैठेगें चलो हमारी नींद भी पूरी हो गयी । 

उसी दिन हमने तीसरी कसम खायी कि आज के बाद कभी किसी से फालतू की हुज्जत नही करेगें । पहले ध्यान से सुनेंगें कि सामने वाला क्या कह रहा है । कहीं हमारे ही फायदे की बात तो ना कह रहा है । 

सामने वाला दो आने मे तीन केले लेने की जगह तीन आने मे दो ही केला लेना चाहता है तो यही सही । 

#तीसरीकसम 

November 27, 2023

इस मांसाहार से कैसे बचें

 हैल्लो फ्रेंडस दुख के साथ बताने पड़ रहा है कि आज से खुद को शाकाहारी होने की लिस्ट से बाहर निकाल रहें हैं 😔

बहुत साल पहले एक दम ताजा बढ़ियां दिख रहा टमाटर काटें तो अंदर ढोले बिलबिला रहें थें । तब का दिन है और आज का टमाटर चाहे उबालना हो पकाना भूनना बिना  चार टुकड़ा काटे, देखे गैस पर ना चढ़ातें । 

कल टमाटर काटे तो देखा बस एक काला सा बीज था अंदर । वो हिस्सा काट कर फेक दिया । फिर लगा चश्मा लगा कर एक बार देखते है सारे बीज को हटा । टमाटर के सारे बीज हटाया तो अंदर मेहीन मेहीन सफेद वाले किड़े के बच्चे । 

इतने मेहीन थें कि रेंगते नही तो चश्मे के बाद भी देखना संभव ना था । ये देखते पूरे शरीर के रोयें गिनगिना गया । लगा बीज को हटा कर तो टमाटर कभी चेक ही ना किया अब तक कितनो को खा चुके होगें। 

जन्मदिन पर बिटिया मेरी लिए कुछ खास बना रहीं थीं बकायदा मैदा डाल कर बनाया । अगले दिन वही नया खरीद कर लाया मैदा हमने थाली मे पलटा तो उसमे भी ढोले । 

ये सोच कि कल ही इस मैदो को खाया है माँ बेटी को तो उलटी आने लगी । एक बार तो सोचे जा कर बनियें का खून कर देतें है ऐसा मैदा देने के लिए।  फिर लगा दिवाली , मैच के बीच कहां कोर्ट कचहरी के चक्कर मे फसेंगें तो जाने देतें हैं । 

वैसे बचपन मे एक बार चीटी का स्वाद भी ले चुकें है । हमारे यहां तीज पर गुजिया बनता था कंडाल भर। हफ्तो उसे खाया जाता । जब कोई बच्चा लेते समय ढक्कन ठीक से बंद करना भूल जाता तो चिटियों की पार्टी हो जाती । 

चिटियां एक छोटा छेद कर गुजिया के अंदर घुस जाती और बाहर से पता ही ना चलता । हमने गुजिया निकाल कर खाया और अचानक से कुछ तेज खट्टा सा स्वाद आया । 

हमने जैसे ही ये बात सबको बतायी दोनो दादा लोग हमको चिढ़ा चिढ़ा बताने लगे वो खट्टी चीज चीटी थी । हमने गुजिया फोड़ी और उसमे से दो तीन जिन्दा चिटियां निकल कर भागी । 

गुजिया हम तुरंत ही प्लेट मे वापस रख दिये । जिसे झाड़ फूक छोटका दादा खा गये । तब का दिन है और आज का गुजिया देखते हमे खट्टी चीटी का स्वाद मुंह मे आ जाता है  और तीसरे दिन के बाद उसको ना खातें । 

अब हाल मे हुए एक के बाद एक हुए घटना से लग रहा है कि अब क्या ही अपने आपको शाकाहारी कहें  🙄

November 18, 2023

जस्ट शट अप

 

विश्व कप के अपने पहले ही मैच मे पांच विकेट लेने के बाद  जब मोहम्मद शमी प्रेस कांप्रेंस मे आयें तो एक पत्रकार ने पूछा की पिछले चार मैच मे आपको टीम मे नही लिया गया था तब आपको कैसा लग रहा था । 

शमी बोले अच्छा लग रहा था क्योंकि अपनी टीम जीत रही थी । चाहे मै टीम मे था या नही था टीम जीत रही थी और अपनी टीम को जीतते देखना अच्छा ही लगता है । 

तीन मैच खेलने और चौदह विकेट लेने के बाद एक बार फिर मैच के बाद कमेंटेटर पूछने लगे कि एक चार सौ विकेट  ( टेस्ट वनडे मिला कर ) लेने वाला बेंच पर बैठा था चार मैचो तक तो क्या सोच रहें थें । 

बोले मेरे साथ छ सौ विकेट लेने वाला ( अश्विन) भी बेंच पर बैठा था । मुझे लेने के लिए टीम से किसी छ सौ विकेट लेने वाले को निकाला जाता तब मेरा नंबर आता । इस समय भारत के पास प्रतिभान खिलाड़ियों की कमी नही है । तो किसी ना किसी बड़े खिलाड़ी को बेंच पर तो बैठना ही पड़ेगा । 

अफसोस की  बात है कि शमी के उन फर्जी फैन और खुद को फैन होने का दावा करने वालों को समझ नही आ रही हैं जो खुद शमी ने पहले ही कह दी है । 

हर मैच के बाद मुंह उठाये चले आतें हैं कि पहले चार मैच मे क्यों नही लिया । तुम लोग अपना सड़ा सा मुँह बंद क्यों नही कर लेते । 


November 17, 2023

क्रिकेट की गाॅसिप सोशल मीडिया वाली

 फिल्मी गाॅसिप बहुत सुना होगा आज क्रिकेट की गाॅसिप सुनाती हूँ । 

खिलाड़ियों के चौके छक्को या आउट करने पर स्टैंड मे बैठी उनकी पत्नियों को दिखाना लाज़मी है । शुभमन के चौके छक्के पर सारा को दिखाना भी एक बार समझ आता है । लेकिन श्रेयश अय्यर के शाॅट पर स्टैंड मे बैठी धनश्री को दिखाना , कुछ ज्यादा गाॅसिप हो गया । 

जिन्हे नही पता है उनके लिए धनश्री अपने चहल की पत्नी है । वो एक अच्छी डांसर है और यूट्यूब आदि पर बहुत प्रसिद्ध भी । ये प्रसिद्धी चहल से मिलने से पहले से उनके पास है । वो चहल और कई दूसरे खिलाड़ियों के साथ भी डांस विडियों बनाती रहतीं हैं । 

लेकिन सोशल मीडिया वाले छपरियों की बाई आँख उस दिन फड़कने लगी जिस दिन उन्होने अय्यर के साथ अपना डांस विडियो जारी किया क्योंकि उसमे साथ मे चहल नही थे । बाकि खिलाड़ियों के साथ विडियों बनाते चहल अक्सर साथ होते थें । 

कुछ ही दिनो बाद धनश्री ने अपनी सहेलियों के साथ एक सेल्फी पोस्ट की । वो किसी के घर के अंदर की थी और उस फोटो मे पीछे किनारे पर अय्यर भी जाते हुए दिख रहें थें । अब तो छपरियों की दोनो आंख फड़कने लगी कि अय्यर वहां क्या कर रहें हैं । 

दिनेश कार्तिक और उनकी पहली पत्नी का किस्सा पहले से ही वायरल हो चुका था और वो सबके दिमाग मे था । लोग इन दोनो को लेकर चटर पटर कर कुछ कुछ पकाने लगें । 

लेकिन इसके बाद हुआ उससे बड़ी चीज । धनश्री ने अपनी खिड़की से बाहर सामने कि बिल्डिंग की एक फोटो पोस्ट की । कुछ ही देर बाद अय्यर ने भी उसी तरह की मिलती जुलती फोटो पोस्ट कर दी । 

इसके बाद तो भाई साहब भुचाल आ गया सोशल मीडिया पर । ठुकरा के मेरा प्यार अंजाम देखेगी , मुझे छोड़ कर जो तुम जाओगें , अच्छा सिला दिया तुने मेरे प्यार का टाइप मीम सीम बनने लगे तीनो को लेकर । 

अपनी बहन पत्नी बेटी को किसी और पुरूष से मुस्करा कर बात करना भी भी बर्दास्त ना करने वाले समाज से उम्मीद भी क्या कर सकते हैं । 

खैर असल बात ये थी कि धनश्री और अय्यर की बहन सहेलियां हैं और दोनो का एक दूसरे के घर आना जाना भी । तो धनश्री अय्यर को दोनो तरफ से जानती हैं ।

 घर की किसी फोटो मे अय्यर का आ जाना या साथ मे डांस विडियो बनाना एक सामान्य बात है । बाकि बिल्डिंग वाली फोटो के समय अय्यर देश मे ही नही थें । 

ये सब तो सोशल मीडिया की पागलपंथी थी उस पर क्या ही बोलना। लेकिन दो मैचों के दौरान धनश्री चहल के साथ मैच देखने आयीं थी और अय्यर के चौके छक्को पर कैमरामैन उन्हे दिखा रहा था ।जिसमे कल का भी मैच था  । मतलब कुछ भी । 

पिछले मैच के बाद एक अखबार की हेडलाइन थी कि श्रेयस के इतने लंबे छक्के से डर कर भागीं धनश्री । असल मे उसका छक्का स्टेडियम की छत से टकरा कर वहां गिरा जहां सभी खिलाडियों की पत्नियां बैठी थीं । उसमे रोहित की पत्नी भी थीं लेकिन नाम धनश्री का लिखा गया । 

अभी कल कोई कमेंटेटर या कोई पत्रकार कोई बड़ा नाम था जिसने कहां हां हमे पता है कि श्रेयश एक बहुत अच्छे डांसर है । 

बात कहां की कहां पहुचते जा रही है । उम्मीद है तीनो समझदार हैं और ये सब सम्भाल लेगें । छपरियों को कुछ नया मिल जायेगा वो ये सब भूल उस तरफ मुड़ जायेगें । 









 

October 30, 2023

सत्तर घंटे काम - कम या ज्यादा


1- ज्यादा समय नही हुआ जब आईटी कंपनियों का टाॅप मैनेजमेंट इस बात की शिकायत कर रहा था कि उसके यहां काम करने वाले ऑफिस से जाने के बाद और वीकेंड पर कहीं और भी काम कर रहें है जो नैतिक रूप से सही नही है।

तब लोग उन पर भड़क गयें कि ऑफिस के बाद हम कही और काम करे इससे आपको क्या । हमे ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिल रहा है तो आपको क्या । 

अब वही जनता अब हफ्ते के सत्तर घंटे काम करके अपनी प्रोडक्टीविटि बढ़ाने ग्रोथ बढ़ाने की बात पर भड़का हुआ है । हमे लगा लोग पैसा बढ़ाने की बात करेगें पिछली बार की तरह पर लोग इस बार कह रहें हैं कि हम काम क्यों करे इतना देर । 



2- हम बिजनेस वाले परिवार से आते है । हमने तो बिना छुट्टी ,संडे ,होली , दिवाली अपने घर या बोले तो हर बिजनेस , दुकान वाले को इससे भी ज्यादा काम करते  हमेशा देखा है और देख रहें है ।

 इसमे तो कुछ भी अनोखा और नया नही हैं । सब मान कर चलतें हैं ज्यादा पैसे कमाने के लिए अपने मन की करने के लिए इतना काम और मेहनत तो करना ही पड़ेगा । कभी इसके लिए शिकायत करते किसी को नही देखा है । 

3-हर नौकरीपेशा महिला सालों साल से ऑफिस घर बच्चे की तीन तीन फुल टाइम जिम्मेदारियां संभालते इससे कहीं ज्यादा समय काम करते बिताती है । कभी कोई उसकी तरफ देखता तक नही कोई बवाल नही होता कोई सवाल नही करता ।

और आज वही नौकरी पेशा , घर के अंदर आँखे बंद किया पुरूष सिर्फ बात कहने भर से ऐसे भड़क गयें हैं कि जैसे कोई ऐसी बात कह दी  गयी हो जो इस धरा पर हो ही नही रहा था ।  

4- वो किस्सा सुना है जब आदमी भीखारी से कहता है कि भाई इसकी जगह काम करो तो ज्यादा पैसा कमा पाओगे । एक घर गाडिय़ा, इज्जत होगी , परिवार और तुम खुश होगे । तो भीखारी कहता है तो खुश होने के लिए काम करने की क्या जरुरत है मै तो ऐसे भी खुश हूँ।  

अपने गांव छोटे शहरो और आसपास के उन बहुत  सारे लोगों को याद किजिए जो आपसे बहुत पीछे छुट गयें और आप अपनी मेहनत के बल पर उनसे कितना आगे बढ़ गयें । वो लोग जिनसे आप कहतें रहें कि भाई कुछ मेहनत कर लो , पढ़ लो , दिमाग  लगा लो , ढंग का काम कर ले और वो आपकी बात अनसुना कर कहते रहें उनके लिए उतना ही बहुत है । 

किस तरह देखते हैं आप उनका और खुद को , अपने और उनके जीवन का अंतर समझ आ रहा है । जब वो कहतें है कि वो अपनी स्थिति से खुश हैं तो आपको वो सच लगता है । 

5- जितना मुझे समझ आया युवाओं को प्रोत्साहित किया गया है कि बस पहली सफलता के बाद वही रूक मत जाओ । युवा हो जोश है यही समय है और मेहनत करों और अपनी ग्रोथ को अभी ही तेजी से बढ़ा लो । 

ये प्रोत्साहन भी ऐसे व्यक्तित्व से है जिसने खुद ये करके दिखाया हैं । लेकिन अंकिल जी लोग भड़क गये हैं । भाई आप काहें अपना बीपी बढ़ा रहें हैं ऑफिस हाॅवर बढ़ाने की बात नही हुयी है । 

6- बहुत से युवा बड़े शहरों मे काम करने जातें हैं । कुछ का सपना कुछ साल की नौकरी से पैसा जुटा आगे पढ़ाई करने का , कुछ को अपने खर्च के बाद पैसा घर भी भेजना होता है । कुछ को अपना लोन भी चुकाना है ,कुछ को आईफोन जैसी विलासितापूर्ण जीवन जीना है । 

 बड़े शहरों मे ना उनका कोई अपना होता है ना ऑफिस के बाद कुछ करने को उन सबको कहूंगी कि पैसे की बात करो पैसे की । काम सत्तर कर लेगें घंटे के हिसाब से पेमेंट भी करो । 

बाकि बांतें और भी बहुत है पर अभी ही बहुत कह दिया है तो बस करतें हैं । 
















October 17, 2023

रिश्ते और उसके सम्बोधन

 मुंबई आयी तो ससुराल की एक मजेदार बात पता चली कि मेरे चाचा ससुर के बच्चे अपने पापा को चाचा कहतें हैं । शुरू मे उन लोगों से बात करते बहुत कन्फ्यूजन होता था ।  लगा गांव से चाचा आयें हैं उनकी बात हो रही है । 

बाद मे पता चला मेरे ससुर बड़े थे उनके बड़े  बच्चे चाचा कहते उन्हे  देख चाचा के बच्चे भी उन्हे चाचा ही कहने लगें । 

ऐसी ही बनारस मे मेरी एक मित्र अपनी मम्मी को बाजी कहतीं थीं । बचपन से वो नानी के घर रहतीं थीं । उनकी मम्मी सबसे बड़ी, सात छोटे भाई बहन वो सब उन्हे बाजी बुलातें मेरी दोस्त भी वही सीख गयी और उन्हे किसी ने मना भी नही किया । 

हम लोग तो दो तीन सालों तक यही समझते रहें कि वो अपनी बड़ी बहन की बात करतीं रही थीं । तब लगता वाह इसकी बड़ी बहन तो बहुत अच्छी है इसके सारे काम करती है । 

इसी तरह हमारे बचपन मे एक किरायेदार रहते थी उनके बच्चे उन्हे बहु बुलातें थे। शुरू मे लगा कि शायद इनके गांव इलाके मे ऐसा बुलाया जाता होगा । 

फिर एक दिन जब गाँव से उनके ससुर आयें वो भी बहु कहने लगे उन्हे तब पता चला कि उनकी तरफ कुछ ऐसा पुकारा नही जाता । 

वास्तव मे उनके बड़े संयुक्त परिवार मे वो सबसे छोटी बहु थीं । पूरा घर ही उन्हे बहु कहता था तो जेठ जेठानी के बच्चो से लेकर उनके अपने बच्चे भी उन्हें बहु ही पुकारने लगें । 

मेरी नानी मेरे सबसे छोटी मौसी के दोनो बेटो पर बहुत गुस्सा करतीं थीं क्योंकि दोनो अपने दादाजी को नाना बुलातें थें । 

असल मे उन दोनो से बड़ी उनकी एक बुआ की बेटी थी जो उनके साथ रहती थी । वो नाना जी बुलाती तो उन दोनो ने भी सीख लिया ।   

जब छोटी मौसी की शादी हुयी थी तो नाना गुजर चुके थे । इसलिए नानी गुस्सा करती कि अपने दादा को नाना बोल कर इस उमर मे  मेरा रिश्ता उनसे खराब कर रहे हो 😂😂